MA Semester-1 Sociology paper-III - Social Stratification and Mobility - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र तृतीय प्रश्नपत्र - सामाजिक स्तरीकरण एवं गतिशीलता - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र तृतीय प्रश्नपत्र - सामाजिक स्तरीकरण एवं गतिशीलता

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2683
आईएसबीएन :0

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एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र तृतीय प्रश्नपत्र - सामाजिक स्तरीकरण एवं गतिशीलता

प्रश्न- सामाजिक वातावरण में परिवर्तन किन कारणों से आता है?

उत्तर -

सामाजिक वातावरण में परिवर्तन लाने वाले कारण

सामाजिक गतिशीलता में परिवर्तन लाने वाले प्रमुख घटकों का वर्णन निम्न प्रकार है।

(1 ) औद्योगीकरण (Industrialisation - )लिपसेट व बैन्डिक्स के अनुसार पूर्व - औद्योगिक गतिशीलता दरों में औद्योगीकरण ने गतिशीलता में अत्यधिक वृद्धि की है। एक बार तो सभी समाज औद्योगीकरण के एक विशेष स्तर तक अवश्य पहुँचे हैं। इस तरह सामाजिक गतिशीलता की उनकी वृद्धि पर एकसमान है। इसी सन्दर्भ में केर तथा अन्य लोगों ने 'समरूप सिद्धान्त' का प्रतिपादन किया है। इसके अनुसार समस्त औद्योगिक समाज गतिशीलता के एक सामान्य ढाँचे की ओर अग्रसर होते हैं, जिसमें अन्य घटकों के साथ-साथ समग्र स्तरीकरण का रूप भी समान होता है।

इसके विपरीत लिपसेट व बैन्डिक्स ने यूरोप एवं अमेरिका के अनेक देशों के बीच तुलनात्मक अध्ययन करके दो मुख्य परिकल्पनाओं की जाँच के लिए हमारे समक्ष रखा है-

पहला सिद्धान्त है कि एक बार तो सभी समाजों ने औद्योगीकरण के खास स्तर को प्राप्त किया है तथा उनमें गतिशीलता की दर पूर्व औद्योगीकरण से काफी अधिक थी।

दूसरे अमेरिका ने यूरोपीय देशों की तुलना में गतिशीलता के लिए अधिक अवसर दिए हैं। इन विचारकों ने औद्योगिक समाज में गतिशीलता के घटकों को निम्नलिखित पाँच प्रमुख तत्त्वों में विभाजित किया है-

(i) उपलब्ध रिक्तियों की संख्या में परिवर्तन होना।
(ii) प्रजनन क्षमता की विभिन्न दरें होना।
(iii) व्यवसायों के अनुसार स्थितियों में परिवर्तन होगा।
(iv) विरासत में प्राप्त स्थितियों की संख्या में परिवर्तन होना।
(v) सम्भावित अवसरों से सम्बन्धित कानूनी प्रतिबन्धों में परिवर्तन होना।

(2) उपलब्ध रिक्त स्थान (Available Vacancy) - औद्योगीकरण कृषि से व्यवसायिक संरचना में तथा इसके बाद सेवा क्षेत्र में संचरण हुआ है। उद्योग में संचरण होते ही समाज में अचानक तीव्र गति से आर्थिक गतिविधियों का जन्म हुआ और समाज में विद्यमान उपलब्ध पद या स्थितियों की संख्या में आशातीत वृद्धि हुई। ग्रामीण क्षेत्रों से लोगों का नगरों और शहरों की ओर अत्यधिक प्रव्रजन हुआ, क्योंकि गाँवों के लोग फैक्ट्रियों में रोजगार की खोज में शहरों की ओर निकल पड़े, जो सामाजिक गतिशीलता का एक रूप है। इसमें भौगोलिक पहलू के साथ ही ऊर्ध्व स्तर भी एक महत्वपूर्ण पक्ष है।

(i) ग्रामीण लोगों को शहर में रोजगार मिलने से उनके पद, स्थिति और प्रतिष्ठा में अवश्य ही वृद्धि होगी, जिससे उनका स्तर ऊँचा होगा और समाज की गतिशीलता ऊँचे स्तर की ओर बढ़ेगी।
(ii) अनेक सफेदपोश स्थितियों का जन्म हुआ, जैसे कि कम्प्यूटर व्यवसाय में।

(3) कानूनी प्रतिबन्ध (Legal Restrictions ) - पहले जाति प्रथा के कारण लोगों में पारम्परिक कार्यों का बंटवारा किया हुआ था। कुछ कार्य, जैसे-पढ़ना-पढ़ाना निम्न वर्ग के लोगों के लिए कानूनी या पारम्परिक रूप से प्रतिबन्धित थे। अब नागरिकों के लिए समान अधिकारों की संकल्पना से सामाजिक गतिशीलता में बाधाओं को कानून के द्वारा समाप्त कर दिया गया। नागरिकों को समान मताधिकार और पंचायती राज की व्यवस्था इत्यादि की स्थापना करके राजनैतिक क्षेत्र में सभी नागरिकों के लिए समान रूप से प्रगति एवं विकास के द्वार खोल दिए गए।

(4) पद और उन्नति (Rank and Status ) - किसी व्यक्ति की स्थिति में बिना किसी परिवर्तन के भी गतिशीलता आ सकती है, यदि उसकी स्थिति के रैंक में परिवर्तन हो जाए। उदाहरण के लिए, अमेरिका में पचास के दशक में बीसवें दशक की तुलना में सरकारी पदों की अधिक प्रतिष्ठा थी। इस तरह सरकारी नौकरों ने अपने काम में परिवर्तन किए बिना ऊर्ध्व सामाजिक गतिशीलता का अनुभव किया। इसी प्रकार कभी-कभी कुछ कार्यों की प्रतिष्ठा कम हो जाने से वे पहले की अपेक्षा समाज तथा अर्थव्यवस्था में कम महत्त्वपूर्ण हो जाते हैं। उस स्थिति में इन कार्यों को करने वालों की अवनति हो जाती है।

(5) समरूप परिकल्पना ( Similar Hypothesis ) - कैर आदि विचारकों के अनुसार आज की दुनिया में औद्योगीकरण समस्त औद्योगीकृत समाजों को भविष्य के एक सामान्य समाज की ओर प्रेरित करता है, जिसे वे बहुवादी वेतनभोगी समाज के नाम से पुकारते हैं। इस समाजों में स्तरीकरण का समान ढाँचा साथ ही गतिशीलता का भी समान रूप होता है।

उपर्युक्त कथन के विपरीत गोल्ड थार्प ने यह स्पष्ट किया है कि औद्योगिक समाजों में गतिशीलता की दरों में असमानता है। उसका तर्क है कि औद्योगीकरण ही नहीं, बल्कि इसके साथ अन्य घटक, जैसे कि सांस्कृतिक घटक, शिक्षा इत्यादि भी हैं, जो सामाजिक गतिशीलता को प्रभावित करते हैं।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण क्या है? सामाजिक स्तरीकरण की विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
  2. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण की क्या आवश्यकता है? सामाजिक स्तरीकरण के प्रमुख आधारों को स्पष्ट कीजिये।
  3. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण को निर्धारित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं?
  4. प्रश्न- सामाजिक विभेदीकरण किसे कहते हैं? सामाजिक स्तरीकरण और सामाजिक विभेदीकरण में अन्तर बताइये।
  5. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण से सम्बन्धित आधारभूत अवधारणाओं का विवेचन कीजिए।
  6. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण के सम्बन्ध में पदानुक्रम / सोपान की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  7. प्रश्न- असमानता से क्या आशय है? मनुष्यों में असमानता क्यों पाई जाती है? इसके क्या कारण हैं?
  8. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण के स्वरूप का संक्षिप्त विवेचन कीजिये।
  9. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण के अकार्य/दोषों का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
  10. प्रश्न- वैश्विक स्तरीकरण से क्या आशय है?
  11. प्रश्न- सामाजिक विभेदीकरण की विशेषताओं को लिखिये।
  12. प्रश्न- जाति सोपान से क्या आशय है?
  13. प्रश्न- सामाजिक गतिशीलता क्या है? उपयुक्त उदाहरण देते हुए सामाजिक गतिशीलता के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  14. प्रश्न- सामाजिक गतिशीलता के प्रमुख घटकों का वर्णन कीजिए।
  15. प्रश्न- सामाजिक वातावरण में परिवर्तन किन कारणों से आता है?
  16. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण की खुली एवं बन्द व्यवस्था में गतिशीलता का वर्णन कीजिए तथा दोनों में अन्तर भी स्पष्ट कीजिए।
  17. प्रश्न- भारतीय समाज में सामाजिक गतिशीलता का विवेचन कीजिए तथा भारतीय समाज में गतिशीलता के निर्धारक भी बताइए।
  18. प्रश्न- सामाजिक गतिशीलता का अर्थ लिखिये।
  19. प्रश्न- सामाजिक गतिशीलता के पक्षों का संक्षिप्त विवेचन कीजिए।
  20. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण के संरचनात्मक प्रकार्यात्मक दृष्टिकोण का विवेचन कीजिये।
  21. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण के मार्क्सवादी दृष्टिकोण का विवेचन कीजिये।
  22. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण पर मेक्स वेबर के दृष्टिकोण का विवेचन कीजिये।
  23. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण की विभिन्न अवधारणाओं का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।
  24. प्रश्न- डेविस व मूर के सामाजिक स्तरीकरण के प्रकार्यवादी सिद्धान्त का वर्णन कीजिये।
  25. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण के प्रकार्य पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  26. प्रश्न- डेविस-मूर के संरचनात्मक प्रकार्यात्मक सिद्धान्त का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
  27. प्रश्न- स्तरीकरण की प्राकार्यात्मक आवश्यकता का विवेचन कीजिये।
  28. प्रश्न- डेविस-मूर के रचनात्मक प्रकार्यात्मक सिद्धान्त पर एक आलोचनात्मक टिप्पणी लिखिये।
  29. प्रश्न- जाति की परिभाषा दीजिये तथा उसकी प्रमुख विशेषतायें बताइये।
  30. प्रश्न- भारत में जाति-व्यवस्था की उत्पत्ति के विभिन्न सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
  31. प्रश्न- जाति प्रथा के गुणों व दोषों का विवेचन कीजिये।
  32. प्रश्न- जाति-व्यवस्था के स्थायित्व के लिये उत्तरदायी कारकों का विवेचन कीजिये।
  33. प्रश्न- जाति व्यवस्था को दुर्बल करने वाली परिस्थितियाँ कौन-सी हैं?
  34. प्रश्न- भारतवर्ष में जाति प्रथा में वर्तमान परिवर्तनों का विवेचन कीजिये।
  35. प्रश्न- जाति व्यवस्था में गतिशीलता सम्बन्धी विचारों का विवेचन कीजिये।
  36. प्रश्न- वर्ग किसे कहते हैं? वर्ग की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
  37. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण व्यवस्था के रूप में वर्ग की आवधारणा का वर्णन कीजिये।
  38. प्रश्न- अंग्रेजी उपनिवेशवाद और स्थानीय निवेश के परिणामस्वरूप भारतीय समाज में उत्पन्न होने वाले वर्गों का परिचय दीजिये।
  39. प्रश्न- जाति, वर्ग स्तरीकरण की व्याख्या कीजिये।
  40. प्रश्न- 'शहरीं वर्ग और सामाजिक गतिशीलता पर टिप्पणी लिखिये।
  41. प्रश्न- खेतिहर वर्ग की सामाजिक गतिशीलता पर प्रकाश डालिये।
  42. प्रश्न- धर्म क्या है? धर्म की विशेषतायें बताइये।
  43. प्रश्न- धर्म (धार्मिक संस्थाओं) के कार्यों एवं महत्व की विवेचना कीजिये।
  44. प्रश्न- धर्म की आधुनिक प्रवृत्तियों की विवेचना कीजिये।
  45. प्रश्न- समाज एवं धर्म में होने वाले परिवर्तनों का उल्लेख कीजिये।
  46. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण में धर्म की भूमिका को स्पष्ट कीजिये।
  47. प्रश्न- जाति और जनजाति में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
  48. प्रश्न- जाति और वर्ग में अन्तर बताइये।
  49. प्रश्न- स्तरीकरण की व्यवस्था के रूप में जाति व्यवस्था को रेखांकित कीजिये।
  50. प्रश्न- आंद्रे बेत्तेई ने भारतीय समाज के जाति मॉडल की किन विशेषताओं का वर्णन किया है?
  51. प्रश्न- बंद संस्तरण व्यवस्था से आप क्या समझते हैं?
  52. प्रश्न- खुली संस्तरण व्यवस्था से आप क्या समझते हैं?
  53. प्रश्न- धर्म की आधुनिक किन्हीं तीन प्रवृत्तियों का उल्लेख कीजिये।
  54. प्रश्न- "धर्म सामाजिक संगठन का आधार है।" इस कथन का संक्षेप में उत्तर दीजिये।
  55. प्रश्न- क्या धर्म सामाजिक एकता में सहायक है? अपना तर्क दीजिये।
  56. प्रश्न- 'धर्म सामाजिक नियन्त्रण का प्रभावशाली साधन है। इस सन्दर्भ में अपना उत्तर दीजिये।
  57. प्रश्न- वर्तमान में धार्मिक जीवन (धर्म) में होने वाले परिवर्तन लिखिये।
  58. प्रश्न- जेण्डर शब्द की अवधारणा को स्पष्ट कीजिये।
  59. प्रश्न- जेण्डर संवेदनशीलता से क्या आशय हैं?
  60. प्रश्न- जेण्डर संवेदशीलता का समाज में क्या भूमिका है?
  61. प्रश्न- जेण्डर समाजीकरण की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  62. प्रश्न- समाजीकरण और जेण्डर स्तरीकरण पर टिप्पणी लिखिए।
  63. प्रश्न- समाज में लैंगिक भेदभाव के कारण बताइये।
  64. प्रश्न- लैंगिक असमता का अर्थ एवं प्रकारों का संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
  65. प्रश्न- परिवार में लैंगिक भेदभाव पर प्रकाश डालिए।
  66. प्रश्न- परिवार में जेण्डर के समाजीकरण का विस्तृत वर्णन कीजिये।
  67. प्रश्न- लैंगिक समानता के विकास में परिवार की भूमिका का वर्णन कीजिये।
  68. प्रश्न- पितृसत्ता और महिलाओं के दमन की स्थिति का विवेचन कीजिये।
  69. प्रश्न- लैंगिक श्रम विभाजन के हाशियाकरण के विभिन्न पहलुओं की चर्चा कीजिए।
  70. प्रश्न- महिला सशक्तीकरण की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  71. प्रश्न- पितृसत्तात्मक के आनुभविकता और व्यावहारिक पक्ष का संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
  72. प्रश्न- जाति व्यवस्था और ब्राह्मणवादी पितृसत्ता से क्या आशय है?
  73. प्रश्न- पुरुष प्रधानता की हानिकारकं स्थिति का वर्णन कीजिये।
  74. प्रश्न- आधुनिक भारतीय समाज में स्त्रियों की स्थिति में क्या परिवर्तन आया है?
  75. प्रश्न- महिलाओं की कार्यात्मक महत्ता का वर्णन कीजिए।
  76. प्रश्न- सामाजिक क्षेत्र में लैंगिक विषमता का वर्णन कीजिये।
  77. प्रश्न- आर्थिक क्षेत्र में लैंगिक विषमता की स्थिति स्पष्ट कीजिये।
  78. प्रश्न- अनुसूचित जाति से क्या आशय है? उनमें सामाजिक गतिशीलता तथा सामाजिक न्याय का वर्णन कीजिये।
  79. प्रश्न- जनजाति का अर्थ एवं परिभाषाएँ लिखिए तथा जनजाति की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  80. प्रश्न- भारतीय जनजातियों की समस्याओं का वर्णन कीजिए।
  81. प्रश्न- अनुसूचित जातियों एवं पिछड़े वर्गों की समस्याओं का वर्णन कीजिए।
  82. प्रश्न- जनजातियों में महिलाओं की प्रस्थिति में परिवर्तन के लिये उत्तरदायी कारणों का वर्णन कीजिये।
  83. प्रश्न- सीमान्तकारी महिलाओं के सशक्तीकरण हेतु किये जाने वाले प्रयासो का वर्णन कीजिये।
  84. प्रश्न- अल्पसंख्यक कौन हैं? अल्पसंख्यकों की समस्याओं का वर्णन कीजिए एवं उनका समाधान बताइये।
  85. प्रश्न- भारत में मुस्लिम अल्पसंख्यकों की स्थिति एवं समस्याओं का वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- धार्मिक अल्पसंख्यक समूहों से क्या आशय है?
  87. प्रश्न- सीमान्तिकरण अथवा हाशियाकरण से क्या आशय है?
  88. प्रश्न- सीमान्तकारी समूह की विशेषताएँ लिखिये।
  89. प्रश्न- आदिवासियों के हाशियाकरण पर टिप्पणी लिखिए।
  90. प्रश्न- जनजाति से क्या तात्पर्य है?
  91. प्रश्न- भारत के सन्दर्भ में अल्पसंख्यक शब्द की व्याख्या कीजिये।
  92. प्रश्न- अस्पृश्य जातियों की प्रमुख निर्योग्यताएँ बताइये।
  93. प्रश्न- अस्पृश्यता निवारण व अनुसूचित जातियों के भेद को मिटाने के लिये क्या प्रयास किये गये हैं?
  94. प्रश्न- मुस्लिम अल्पसंख्यक की समस्यायें लिखिये।

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